अजनबी शहर में ता–उम्र रहे यह हशरत ।
बन के अपना कोई रूठे तो मनाऊँ उसको ।।
–ज्ञान प्रकाश विवेक
धरती अति सुन्दर किताब
चाँद सूरज की जिल्द वाली
पर खुदाया यह दुख—
भूख‚ सहम और गुलामी
यह तेरी इबादत है
या प्रूफ की गलतियाँ।
॥अमृता प्रीतम॥
जिसे बनाया वृद्ध पिता के श्रम जल ने
दादी की हँसुली ने माँ की पायल ने
उस कच्चे घर की कच्ची दीवारों पर
मेरी टाई टँगने में कतराती है।
॥डा० कुँवर बेचैन॥
दादी की हँसुली ने माँ की पायल ने
उस कच्चे घर की कच्ची दीवारों पर
मेरी टाई टँगने में कतराती है।
॥डा० कुँवर बेचैन॥
नए कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है
परिन्दों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है
हमीं गिरती हुई दीवार को थामे रहें वरना
सलीके से बुजुर्गो की निशानी कौन रखता है।
–मुनब्बर राना
बेवज़ह मन पै कोई बोझ न भारी रखिये
ज़िन्दगी जंग है इस जंग को जारी रखिये।
॥ डा० उर्मिलेश॥
बेटियाँ शुभ कामनाएँ हैं
बेटियाँ जातक कथाएँ हैं
बेटियाँ जीनत हदीसों की
बेटियाँ गुरु ग्रंथ की वाणी
बेटियाँ वैदिक ॠचाएँ हैं
जिनमें खुद भगवान बसता है
बेटियाँ वे वंदनाएँ हैं।
—अजहर हाशमी
बेटियाँ जातक कथाएँ हैं
बेटियाँ जीनत हदीसों की
बेटियाँ गुरु ग्रंथ की वाणी
बेटियाँ वैदिक ॠचाएँ हैं
जिनमें खुद भगवान बसता है
बेटियाँ वे वंदनाएँ हैं।
—अजहर हाशमी
भूख की कुटनी कला की कुलवधू को
नग्नता की हाट में बिठला रही है
फिर कहीं से दर्द के सिक्के मिलेंगे
ये हथेली आज फिर खुजला रही है।
नग्नता की हाट में बिठला रही है
फिर कहीं से दर्द के सिक्के मिलेंगे
ये हथेली आज फिर खुजला रही है।
॥ शिवओम अम्बर॥
करते हैं तन मन से वन्दन
जनगण मन की अभिलाषा का
आराधन अपनी संस्कृति का
अभिन्दन अपनी भाषा का।
॥सोम ठाकुर॥
जिन चिरागों को हवाओं का खौफ नहीं
उन चिरागों को बुझने से बचाया जाये
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये।
॥ निदा फाज़ली॥
11 comments:
व्योम साहब:
पढ कर आनन्द आ गया । बहुत ही सुन्दर चयन है कविताओं का । एक एक कविता रतन के समान है।
अनूप
HI MY NAME IS DWIJ & I AM AN STUDENT OF KV SCHOOL HOSHANGABAD AND I FEEL PROUD TO SEE THE OPORTUNITY THAT THIS WEBSITE PROVIDES US ,TO KNOW ABOUT THE GREAT ASPECTS OF OUR OWN LANGUAGE HINDI & I REALLY FEEL PROUD THAT I AM STUDING UNDER ONE OF THE GREATEST SCHOLAR OF THIS LANGUAGE ie.MR.JC YADAV . HE HAS DONE A LOT TO PUBLISIZE THE GREAT INDIAN LANGUAGE IN THE WHOLE WORLD . AND HAVE PROVIDED A GREAT OPORTUNITY FOR THE FOREINGERS INTERESTED IN THIS LANGUAGE {TO KNOW ABOUT IT}.BUT I FEEL THAT THE WEBSITE MUST BE MORE DECORATED AND MUST BE EASY TO OPERATE AND CLEAR TO UNDERSTAND .
प्रिय द्विज तुमने यह बेवसाइट देखी और अपनी प्रतिक्रिया भी लिखी। बहुत अच्छा लगा। तुम्हारी प्रतिक्रिया पढ़कर।
ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ।
-डॉ॰ जगदीश व्योम
this website is good
students of class9th.k.v.
spm hoasangabad
Thanks Really Gud to see this work..
I am at US fremont belong to MP Khargone ...were going though
www.bhaskar.com then saw you site address as news ...really gud work
like it
Priya vyom ji,
Shubhkamnayein,
Gorvanvit mahsoos kar raha hoon ki main hoshangabaad jile ka nivasi hoon. sundar chayan ke liye badhai. meri bhi kuch rachnayein hain, aap tak avashya pahunchaunga.
Aapka hiteshi
Prashant dubey
Shobahpur, distt: Hoshangabad
M.P.(BHARAT)
0755-2461161
09425026331
आदरणीय व्योम जी
आपका ब्लोग पद कर बहुत आछ्चा लगा
आभार
सुदीप साकल्ले
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wonderful and thought provoking collection.please keep it up. many more poems can be added but mentain this flavour.such verses are a kind of treasure for manking which should not be beyond its reach. doubtlessely you have done a remarkable attempt, worth and admirable.
WONDERFUL, INSPIRING AND WORTH COLLECTION. THANKS, PLEASE KEEP IT UP.
कुछ विचारों में काफी गहराई है, आशा है भविष्य में इसी तरह के और भी विचार पढने को मिलेंगे
मनोज आर्य
ADARNEEYA SHIV OM AMBAR KE SAMAYPARAK CHINTAN AVAM USKI ABHIVYAKTI SE VAHUT PRABHAVIT HUA. SADHUVAAD !
NIRMAL, GR NOIDA
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