16 April 2005

रामसागर यादव की कविता बच्चों के लिए

बादल प्यारे बादल प्यारे
छाये नभ में हो कजरारे
कभी लाल पीले हो जाते
सारे नभ में दौड़ लगाते
काला भूरा रूप तुम्हारा
सबके मन को लगता प्यारा
एक जगह पर कभी न रुकते
करते काम कभी ना थकते
जब सूरज गरमी फैलाता
सबको है पीड़ा पहुँचाता
ऊपर से उसको ढक लेते
परोपकार की शिक्षा देते।
–रामसागर यादव

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