16 April 2005

प्रवेश

  • तुम याद आना

तुम याद आना
यादों के समंदर में

आँसू सी लहर बन

मन की कोमल बगिया के

तरु को सिंचित कर

प्रीति के सुमन
खिला जाना .....
तुम याद आना
तुम याद आना।।

घोर अँधेरी रातों में

जुगुनू–सी चमक बन

नीरवता के वितान में
पायल की झनकार से
मधुमय अहसास
दिला जाना.........
तुम याद आना

तुम याद आना।।

***

-संजय कुमार सराठे
ज.न.वि. चन्द्रकेशर बाँध देवास

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