बाजीगर बन गई व्यवस्था हम सब हुए जमूरे सपने कैसे होंगे पूरे
चार कदम भर चल पाये थे
पैर लगे थर्राने
क्लांत प्रगति की निरख विवशता
छाया लगी चिढाने
मन के आहत मृगछौने ने
बीते दिवस बिसूरे
सपने कैसे होंगे पूरे
हमने निज हाथों से युग पतवार जिन्हें पकड़ाई
वे शोषक हो गये हुए हम चिरशोषित तरुणाई
शोषण दुर्ग हुआ अलवत्ता
तोड़ो जीर्ण कँगूरे सपने कैसे होंगे पूरे
वे तो हैं स्वच्छन्द करेंगे
जो मन में आएगा
सूरज को गाली देंगे
कोई क्या कर पायेगा
दोष व्यक्ति का नहीं
व्यवस्था में छलछिद्र घनेरे
सपने कैसे होंगे पूरे
मिला भेड़ियों को भेड़ों की
अधिरक्षा का ठेका
कुछ सफेदपोषों को मैंने
देश निगलते देखा
स्वाभिमान को बेंच
उन्हें मैं कैसे नमन करूँ रे
सपने कैसे होंगे पूरे
चार कदम भर चल पाये थे
पैर लगे थर्राने
क्लांत प्रगति की निरख विवशता
छाया लगी चिढाने
मन के आहत मृगछौने ने
बीते दिवस बिसूरे
सपने कैसे होंगे पूरे
हमने निज हाथों से युग पतवार जिन्हें पकड़ाई
वे शोषक हो गये हुए हम चिरशोषित तरुणाई
शोषण दुर्ग हुआ अलवत्ता
तोड़ो जीर्ण कँगूरे सपने कैसे होंगे पूरे
वे तो हैं स्वच्छन्द करेंगे
जो मन में आएगा
सूरज को गाली देंगे
कोई क्या कर पायेगा
दोष व्यक्ति का नहीं
व्यवस्था में छलछिद्र घनेरे
सपने कैसे होंगे पूरे
मिला भेड़ियों को भेड़ों की
अधिरक्षा का ठेका
कुछ सफेदपोषों को मैंने
देश निगलते देखा
स्वाभिमान को बेंच
उन्हें मैं कैसे नमन करूँ रे
सपने कैसे होंगे पूरे
-डा० जगदीश व्योम
6 comments:
जगदीश, आपका हार्दिक स्वागत है हिन्दी ब्लॉग जगत में :)
जगदीश जी, आपका हिन्दी ब्लागजगत के पारिवार मे हार्दिक स्वागत है.
आपके ब्लाग की परिकल्पना अच्छी दिख रही है.
किसी भी प्रकार की सहायता के लिये हम सिर्फ एक इमेल की दूरी पर है.
Jagdish ji wadaakam bahut bhadiya hai blog jagat main hindi writers badte jaa rahe hain.
हिन्दी ब्लाग शुरू करने के लिये बहुत बहुत बधाईयां. आपके और हाईकूओं का इन्तज़ार रहेगा.
चिट्ठा जगत में आपके पधारने से हर्षित हैं हिन्दी चिट्ठाकार समाज।
जब तक साहित्य ज़िंदा है, न केवल सपने जीवित रहेंगे बल्कि पूरे भी होंगे।
स्वागत है आपका।
jagdeesh ji, blog par kavitaaaye dkh accha lag raha he
Rati saxena
http://ratisaxena.blogspot.com
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