फागुन सब क्लेश हरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
चुन्हरि पै सात हू रंग सजें
कहूं ढोल मंजीरे मृदंग बजें
रसिया बर जोरी करत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
सन सननन पवन हरत बाधा
झूम झननन नाचति है राधा
दुःख, दारिद्रय दैन्य जरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयाँ
कोई दौरि बचे नहिं नौरि बचे
चौपारि बचै नहिं पौरि बचे
रंग सों सरबोर करत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयाँ
अभिमान द्वेष और दम्भ कढ़ैं
हिय सो ई मिलिके नेह बढ़ै
सब गरब गुमान गरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयाँ
मर्यादा कौने में डारो
भीतर बाहर सब रंगि डारो
सब ऐसी ढरनि ढरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
गोपी को मन कान्हा भांपे
धरती नाचै अम्बर काँपै
मन ऐसी कुलांच भरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
नहीं जोरु चलै कछू छैलन पै
मलि देत अबीर कपोलन पै
गोरी अर र र अरर करत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
-डॉ० रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
चुन्हरि पै सात हू रंग सजें
कहूं ढोल मंजीरे मृदंग बजें
रसिया बर जोरी करत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
सन सननन पवन हरत बाधा
झूम झननन नाचति है राधा
दुःख, दारिद्रय दैन्य जरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयाँ
कोई दौरि बचे नहिं नौरि बचे
चौपारि बचै नहिं पौरि बचे
रंग सों सरबोर करत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयाँ
अभिमान द्वेष और दम्भ कढ़ैं
हिय सो ई मिलिके नेह बढ़ै
सब गरब गुमान गरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयाँ
मर्यादा कौने में डारो
भीतर बाहर सब रंगि डारो
सब ऐसी ढरनि ढरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
गोपी को मन कान्हा भांपे
धरती नाचै अम्बर काँपै
मन ऐसी कुलांच भरत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
नहीं जोरु चलै कछू छैलन पै
मलि देत अबीर कपोलन पै
गोरी अर र र अरर करत गुइयां
रस झर-झर झरर झरत गुइयां
-डॉ० रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’
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