-ओमप्रकाश यती
आओ ख़ुशी मनाएँ कि गणतन्त्र-दिवस है
सबको गले लगाएँ कि गणतन्त्र-दिवस है
हम शेख़-बरहमन नहीं हैं, भारतीय हैं
सब मिल के गुनगुनाएँ कि गणतन्त्र-दिवस है
मौसम ने पूछा,किसलिए ये मस्तियाँ इतनी
कहने लगीं हवाएँ कि गणतन्त्र-दिवस है
हत्या,बलात्कार,डकैती के शोर को
अब भी चलो दबाएँ कि गणतन्त्र-दिवस है
जो चोट कर रहे हैं रोज़ संविधान पर
वे आज तो शर्माएँ कि गणतन्त्र-दिवस है
वो कौन है जो आंसुओं को पोंछता नहीं
चलकर उसे बताएं कि गणतन्त्र-दिवस है
दे देंगे जान देश पुकारेगा जब ‘यती’
आओ कसम ये खाएं कि गणतन्त्र-दिवस है
-ओमप्रकाश यती
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