05 June 2011

कोई बाबा रामदेव पर दाग लगाने लगता है

- ( साभार )

मैं भी गीत सुनाता हूँ, शबनम के अभिनन्दन के
मैं भी ताज पहनता हूँ नंदन वन के चन्दन के ||

लेकिन जब तक पगडण्डी से संसद तक कोलाहल है
तब तक केवल गीत लिखूंगा जन गन मन के क्रंदन के ||
जब पंछी के पंखो पर हो पहरे बम के गोली के,
जब पिंजरे में कैद पड़े हो सुर कोयल की बोली के ||

जब धरती के दामन पर हो दाग लहू की होली के,
कोई कैसे गीत सुना दे बिंदिया कुमकुम रोली के ||

मैं झोपड़ियों का चारण हूँ आंसू गाने आया हूँ
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||

अन्धकार में समां गए जो तूफानों के बीच जले,
मंजिल उनको मिली कभी जो चार कदम भी नहीं चले||

क्रांतिकथा में गौण पड़े है, गुमनामी की बाहों में,
गुंडे तस्कर तने खड़े है राजमहल की राहों में ||
यहाँ शहीदों की पावन गाथाओं को अपमान मिला,
डाकू ने खादी पहनी तो संसद में सम्मान मिला ||

राजनीति में लोह पुरुष जैसा सरदार नहीं मिलता,
लाल बहादुर जी जैसा कोई किरदार नहीं मिलता ||
ऐरे गेरे नत्थू खैरे तंत्री बन कर बैठे है,
जिनको जेलों में होना था मंत्री बन कर बैठे है ||

लोक तंत्र का मंदिर भी बाज़ार बना कर डाल दिया,
कोई मछली बिकने का बाज़ार बना कर डाल दिया ||
अब जनता को संसद भी प्रपंच दिखाई देती है,
नौटंकी करने वालों का मंच दिखाई देती है ||

पांचाली के चीर हरण पर जो चुप पाए जायेंगे
,इतिहासों के पन्नो में वे सब कायर कहलायेगे ||
कहाँ बनेंगे मंदिर मस्जिद कहाँ बनेगी राजधानी,
मंडल और कमंडल पी गए सबकी आँखों का पानी ||

प्यार सिखाने वाले बस ये मजहब के स्कूल गए,
इस दुर्घटना में हम अपना देश बनाना भूल गए ||
कहीं बमों की गर्म हवा है और कहीं त्रिशूल जले,
सांझ चिरैया सूली टंग गयी पंछी गाना भूल गए ||

आँख खुली तो पूरा भारत नाखूनों से त्रस्त मिला,
जिसको जिम्मेदारी दी वो घर भरने में व्यस्त मिला ||

क्या यही सपना देखा था भगत सिंह की फ़ासी ने,
जागो राजघाट के गाँधी तुम्हे जगाने आया हूँ,
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||


जो अच्छे सच्चे नेता है उन सबका अभिनन्दन है,
उनको सौ सौ बार नमन है मन प्राणों से वंदन है ||
जो सच्चे मन से भारत माँ की सेवा करते है,
हम उनके कदमो में अपने प्राणों को धरते है ||

लेकिन जो कुर्सी के भूखे दौलत के दीवाने है,
सात समुंदर पार तिजोरी में जिनके तहखाने है ||
जिनकी प्यास महासागर है भूख हिमालय पर्वत है,
लालच पूरा नीलगगन है दो कौड़ी की इज्ज्ज़त है ||

इनके कारण ही बनते है अपराधी भोले भाले,
वीरप्पन पैदा करते है नेता और पुलिस वाले ||
केवल सौ दिन को सिंघासन मेरे हाथों में दे दो,
काला धन वापस न आये तो मुझको फ़ाँसी दे दो ||

जब कोयल की डोली गिद्धों के घर में आ जाती है,
तो बगला भगतो की टोली हंसों को खा जाती है ||
जब जब जयचंदो का अभिनन्दन होने लगता है,
तब तब सापों के बंधन में चन्दन रोने लगता है ||

जब फूलों को तितली भी हत्यारी लगने लगती है,
तो माँ की अर्थी बेटों को भारी लगने लगती है ||

जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते है,
तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते है ||
सिंहो को म्याऊँ कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है,
बिल्ली में क्या ताकत होती कायरता दिल्ली में है ||

कहते है की सच बोलो तो प्राण गवाने पड़ते है,
मैं भी सच्चाई को गाकर शीश कटाने आया हूँ,
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||

कोई साधू संन्यासी पर तलवारे लटकाता है,
काले धन की केवल चर्चा पर भी आँख चढ़ाता है ||
कोई हिमालय ताजमहल का सौदा करने लगता है,
कोई यमुना गंगा अपने घर में भरने लगता है ||
कोई तिरंगे झंडे को फाड़े फूके आज़ादी है,
कोई गाँधी को भी गाली देने का अपराधी है ||

कोई चाकू घोप रहा है संविधान के सीने में,
कोई चुगली भेज रहा है मक्का और मदीने में ||
कोई ढाँचे का गिरना UNO में ले जाता है,
कोई भारत माँ को डायन की गाली दे जाता है ||

कोई अपनी संस्कृति में आग लगाने लगता है,
कोई बाबा रामदेव पर दाग लगाने लगता है ||
सौ गाली पूरी होते ही शिशुपाल कट जाते है,
तुम भी गाली गिनते रहना जोड़ सिखाने आया हूँ,
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ |

-डॉ. हरिओम पंवार

3 comments:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर और जीवन्त कविता है।

Anonymous said...

nice

Anonymous said...

very good

Rajesh Bats