11 April 2009

जितेन साहू की कविताएँ (एक)

स्वप्न में डूबी लड़की

स्वप्न में डूबी लड़की
रुई से भी हल्की हो
उड़ जाती है आकाश में

स्वप्न में डूबी लड़की
कर नहीँ पाती अहसास
खुरदुरेपन का
स्वप्न में डूबी लड़की
काटती है हर बंधन को।

-जितेन साहू

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