30 July 2006

नन्हीं परी
















झूठ मूठ का रोकर हमको, बुद्धू बहुत बनाती है
गोद में चढ़कर बाहर जाने को, हरदम ललचाती है
जाने क्या-क्या बोला करती, बोली समझ न आती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।

जब जी चाहा खुश होकर के, सिर को खूब हिलाती है
पकड़ हाथ में दूध की बोतल, डमरू-सा लहराती है
नित-नित नई-नई लीला करती, मैया बहुत सिहाती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।















कभी कूकती कोयल जैसी, कभी फिर शोर मचाती है
कभी बैठती मेंढक जैसी, कभी तैरने लग जाती है
देख नई चीजों को मुन्नी, घुटनों दौडी आती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।

होना खडा चाहती है पर, बार-बार गिर जाती है
बार-बार गिरकर भी मुन्नी, कोशिश करती जाती है
असफल होने वालों को यूँ, गुरू मन्त्र सिखलाती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।

नन्हें-नन्हें हाथों से जब, मूँछ को हाथ लगाती है
सारे जहाँ की खुशियाँ मानो, मुफ्त हमें दे जाती है
हमको तो मुन्ने से ज्यादा, मुन्नी अधिक सुहाती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।

लोग हुये जाने क्यों पागल, मुन्ना पाने की खातिर
जबकि `कल्पना' जैसी बिटिया, अन्तरिक्ष भी जाती है
खेल जगत से सानिया मिर्जा, विश्व में धूम मचाती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।

कभी `किरन' के डर के मारे, गुण्डा दल थर्राता है
कभी `बछेन्द्री' एवरेस्ट पर चढ़कर नाम कमाती है
`महादेवी वर्मा' की कविता, पढ़ी शान से जाती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।

एक दिन ऐसा जरूर होगा, लिंग-भेद मिट जायेगा
मुन्नी को मुन्ने के बराबर, का दर्जा मिल जायेगा
देख `फकीरा' तेरी कविता, कितना असर दिखाती है
नन्हीं परी-सी मुनियाँ रानी, हमको बहुत लुभाती है।
-के.पी.सिंह 'फकीरा'
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"नन्हीं परी"
कविता के रचनाकार-











के.पी.सिंह 'फकीरा'
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश
सोनकच्छ, जिला-देवास(म.प्र.)

11 comments:

Anonymous said...

बाल मनोविज्ञान का सहज और स्वाभाविक चित्रण श्री के.पी.सिंह "फकीरा" जी ने किया है....... बहुत बहुत बधाई ..... अच्छी कविता के लिए....।
-रोहित नन्दन

Anonymous said...

भाई के.पी.सिंह फकीरा जी ! आपने बच्चे की छोटी छोटी बातों को इस तरह से अपनी कविता में प्रस्तुत कर दिया है कि मुझे तो ऐसा लगता है कि यह कविता मेरी बच्ची को देखकर लिखी गई है....... दरअसल यही कविता की सफलता है कि वह सबको अपनी सी लगे...... आशा है आपकी और कविताएँ भी पढ॓ने को मिलती रहेंगी.....

एल.पी.सिरोही, आस्ट्रेलिया

Anonymous said...

we never expected such a work from our own "chachu" but I was surprised to see the way in which such an abstract starting was moulded into something meaningfull and sometingh which really affects the society ...... well done fakira

kpsingh said...

very good depiction ofchildhood and toching comment on gender bias .

GAURI SINGH & NEHA SINGH
INDORE

kpsingh said...

very good depiction ofchildhood and toching comment on gender bias .

GAURI SINGH & NEHA SINGH
INDORE

Unknown said...

sir, marvelous
i see my baby in your poem.

Prashant singh said...

Uncle Me Prashant ,son Of Mr. Dhirendra Singh. very nicely written poem and Made this poem read my friends and they too loved it.

Unknown said...

Very effectively highlighted the social evil of gender bias.

Unknown said...

Very effectively highlighted the social evil of gender bias.

Unknown said...

Very good.

Unknown said...

Very good.