10 April 2005

गजल

बहते जल के साथ न बह
कोशिश करके मन की कह

कुछ तो खतरे होंगे ही
चाहे जहाँ कहीं भी रह

मौसम ने तेवर बदले
कुछ तो होगी खास बजह

लोग तुझे कायर समझें
इतने अत्याचार न सह

लोकतन्त्र की ये तरणी
छेद हो गये जगह जगह

-डा० जगदीश व्योम

5 comments:

डॅा. व्योम said...

यह सुनहरी कविताएँ हमें बहुत पसंद आईं. ब्लाग के द्वारा इतनी अच्छी बेवसाइट बन सकती है यह जानकर बहुत खुशी हो रही है.
बी०एस०कहार ॥ होशंगाबाद॥

विजय ठाकुर said...

व्योमजी:होशंगाबाद से किसी शिक्षक को चिट्ठाकार समाज बीच पाकर मुझे अपने दस वर्ष पूर्व की होशंगाबाद यात्रा याद हो आई जब मैंने "एकलव्य" के बच्चों के साथ एक हफ़्ते बिताये थे।
कभी फुर्सत में अपने शैक्षणिक अनुभवों के बारे में भी लिखें।

Munish said...

Welcome to the hindi blog world Jagdish ji.

Aur khaaskar hindi kavitaon ko padh kar mujhe jo anand milta hai vo avarnaniya hai.

Spread of hindi poetry on the internet particularly interests me a lot.

Please keep up the great work.

Anonymous said...

web site ek aisa zaria hai jisme hindi ki abhivrudhi ho rahi hai. yah khushi ki baat hai paranthu yahi vichar vistharroop se ho tho
aur bhi zyada upayog hoga
dhanyavad

रवि रतलामी said...

भाषा इंडिया इंडिक ब्लॉगर अवार्ड प्राप्त करने पर हार्दिक बधाई!