मेघ आये
सावनी सन्देश लाये
मेह लाये
बज उठे जैसे नगाड़े
शेर जैसे घन दहाड़े
बिजलियों में कड़क जागी
तड़ित की फिर तड़क जागी
यहाँ बरसे वहाँ बरसे
प्राणियों के प्राण सरसे
बादलों के झुंड आये
सलिल कण के कुंड लाये
खूब बरसे खूब छाये
मेघ आये
मेह लाये
गगन का है कौन सानी
बादलों की राजधानी
सुबह बरसे शाम बरसे
झूमकर घनश्याम बरसे
नदी ने तटबन्ध चूमा
झील का मन प्राण झूमा
सेतु बन्धन थरथराया
सृष्टि ने मल्हार गाया
छंद नदियों ने सुनाये
मेघ आये
मेह लाये
मस्त हो मन मोर नाचे
खत धरा का घटा बांचे
जंगलों में मेह बरसा
पर्वतों पर प्रेम सरसा
नेह साँसों में समाया
चतुर्दिक आनन्द छाया
दृष्टि में आमोद भरती
सुआपंखी हुई धरती
इन्द्रधनु जादू दिखाये
मेघ आये
मेह लाये
इधर पानी उधर पानी
हँसे छप्पर और छानी
झील में आई रवानी
आये ऐसे मेघ दानी
खेत जी भर खिलखिलाया
मेढ़ ने दिल फिर मिलाया
हँस रहा है सर्वहारा
स्वप्न आंखों में सजाये
मेघ आये
मेह लाये
-मनोज जैन मधुर
सावनी सन्देश लाये
मेह लाये
बज उठे जैसे नगाड़े
शेर जैसे घन दहाड़े
बिजलियों में कड़क जागी
तड़ित की फिर तड़क जागी
यहाँ बरसे वहाँ बरसे
प्राणियों के प्राण सरसे
बादलों के झुंड आये
सलिल कण के कुंड लाये
खूब बरसे खूब छाये
मेघ आये
मेह लाये
गगन का है कौन सानी
बादलों की राजधानी
सुबह बरसे शाम बरसे
झूमकर घनश्याम बरसे
नदी ने तटबन्ध चूमा
झील का मन प्राण झूमा
सेतु बन्धन थरथराया
सृष्टि ने मल्हार गाया
छंद नदियों ने सुनाये
मेघ आये
मेह लाये
मस्त हो मन मोर नाचे
खत धरा का घटा बांचे
जंगलों में मेह बरसा
पर्वतों पर प्रेम सरसा
नेह साँसों में समाया
चतुर्दिक आनन्द छाया
दृष्टि में आमोद भरती
सुआपंखी हुई धरती
इन्द्रधनु जादू दिखाये
मेघ आये
मेह लाये
इधर पानी उधर पानी
हँसे छप्पर और छानी
झील में आई रवानी
आये ऐसे मेघ दानी
खेत जी भर खिलखिलाया
मेढ़ ने दिल फिर मिलाया
हँस रहा है सर्वहारा
स्वप्न आंखों में सजाये
मेघ आये
मेह लाये
-मनोज जैन मधुर
1 comment:
sundar rachna.....
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