25 June 2017

मेघ आये

मेघ आये
सावनी सन्देश लाये
मेह लाये

बज उठे जैसे नगाड़े
शेर जैसे घन दहाड़े
बिजलियों में कड़क जागी
तड़ित की फिर तड़क जागी
यहाँ बरसे वहाँ बरसे
प्राणियों के प्राण सरसे
बादलों के झुंड आये
सलिल कण के कुंड लाये
खूब बरसे खूब छाये
मेघ आये
मेह लाये

गगन का है कौन सानी
बादलों की राजधानी
सुबह बरसे शाम बरसे
झूमकर घनश्याम बरसे
नदी ने तटबन्ध चूमा
झील का मन प्राण झूमा
सेतु बन्धन थरथराया
सृष्टि ने मल्हार गाया
छंद नदियों ने सुनाये
मेघ आये
मेह लाये

मस्त हो मन मोर नाचे
खत धरा का घटा बांचे
जंगलों में मेह बरसा
पर्वतों पर प्रेम सरसा
नेह साँसों में समाया
चतुर्दिक आनन्द छाया
दृष्टि में आमोद भरती
सुआपंखी हुई धरती
इन्द्रधनु जादू दिखाये
मेघ आये
मेह लाये

इधर पानी उधर पानी
हँसे छप्पर और छानी
झील में आई रवानी
आये ऐसे मेघ दानी
खेत जी भर खिलखिलाया
मेढ़ ने दिल फिर मिलाया
हँस रहा है सर्वहारा
स्वप्न आंखों में सजाये
मेघ आये
मेह लाये

-मनोज जैन मधुर

1 comment:

Rishabh Shukla said...

sundar rachna.....