06 December 2015

दोहे


खर्च दिया, मजदूर बन, श्रम कर तोड़े हाड़।
अफसर बेटे को हुए, वे माँ-बाप कबाड़।।

"टैडी"  ड्राइंग-रूम में, सोफे पर आसीन।
पड़े खरहरी खाट पर, डैडी वृद्ध मलीन।।

स्वार्थ, धूर्तता, छल-कपट, झूठ गिरगिटी रंग।
मानव का व्यवहार अब, हुआ बहुत बदरंग।।


नेता अभिनेता बने, लोकतंत्र अलमस्त।
भ्रष्ट सकल सेवा-व्रती, जन-जीवन संत्रस्त।।

-डा० अनिल गहलोत
[डा० अनिल गहलोत के वाट्सप समूह से साभार] 

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