13 November 2012

दीप के पर्व पर





दीप के पर्व पर
दीप की वर्तिका
स्नेह से स्निग्ध होकर
जले इस तरह
बह चले ज्योति की
एक भागीरथी
और
उसमें नहाने लगे ज्योत्सना
हर नगर हर डगर
हर तरफ व्योम पर
खेत खलिहान में
घर में आँगन में
हर एक इंसान में
ज्योति के पर्व की
है यही कामना
दीप के पर्व की
कोटि शुभकामना

डॉ0 जगदीश व्योम

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दीप की वर्तिका जगमगाती रहे
ज्योति हर पल अँधेरे भगाती रहे
स्नेह भर भर जालाओ दिये इस तरह
रोशनी व्योम में खिलखिलाती रहे

डॉ० जगदीश व्योम


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