14 April 2010

ओमप्रकाश यती की दो गजलें-

हिन्दी के प्रसिद्ध गजलकार ओमप्रकाश यती की दो गजलें-

--1--

नदी कानून की, शातिर शिकारी तैर जाता है
यहाँ पर डूबता हल्का है भारी तैर जाता है

उसे कब नाव की, पतवार की दरकार होती है
निभानी है जिसे लहरों से यारी, तैर जाता है

बताते हैं कि भवसागर में दौलत की नहीं चलती
वहाँ रह जाते हैं राजा भिखारी तैर जाता है

समझता है तुम्हारे नाम की महिमा को पत्थर भी
तभी है राम! मर्ज़ी पर तुम्हारी तैर जाता है

निकलते हैं जो बच्चे घर से बाहर खेलने को भी
मुहल्ले भर की आँखों में ‘निठारी’ तैर जाता है

–ओमप्रकाश यती


--2--

दुख तो गाँव–मुहल्ले के भी हरते आए बाबूजी
पर जीवन की भट्ठी में ख़ुद जरते आए बाबूजी

कुर्ता, धोती, गमछा, टोपी सब तो नहीं जुटा पाए
पर बच्चों की फ़ीस समय से भरते आए बाबूजी

बड़की की शादी से लेकर फूलमती के गवने तक
जान सरीखी धरती गिरवी धरते आए बाबूजी

कुछ भी नहीं नतीजा निकला, झगड़े सारे जस के तस
पूरे जीवन कोट–कचहरी करते आए बाबूजी

कभी वसूली खाद–बीज की कभी नहर के पानी की
हरदम उस बूढ़े अमीन से डरते आए बाबूजी

नाती–पोते वाले होकर अब भी गाँव में तन्हा हैं
वो परिवार कहाँ है जिस पर मरते आए बाबूजी

–ओम प्रकाश यती


ओम प्रकाश यती की अन्य गजलों के लिए देखिए-
www.omyati.blogspot.com/

1 comment:

omprakash yati said...

suman ji,
thanx for reaction.......