रवीन्द्र नाथ टैगोर और उनके बाद अज्ञेय जी ने अपनी जापान यात्राओं से वापस आते समय जापानी हाइकु कविताओं से प्रभावित होकर उनके अनुवाद किए जिनके माध्यम से भारतीय हिन्दी पाठक 'हाइकु` के नाम से परिचित हुए। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर डॉ० सत्यभूषण वर्मा(04-12-1932 ....... 13-01-2005) ने जापानी हाइकु कविताओं का सीधा हिन्दी में अनुवाद करके भारत में उनका प्रचार-प्रसार किया। इससे पूर्व हाइकु कविताओं के जो अनुवाद आ रहे थे वे अंगे्रजी के माध्यम से हिन्दी में आ रहे थे प्रो० वर्मा ने जापानी हाइकु से सीधा हिन्दी अनुवाद करके भारत मे उसका प्रचार-प्रसार किया। परिणामत: आज भारत में हिन्दी हाइकु कविता लोकप्रिय होती जा रही है। अब तक लगभग ४०० से अधिक हिन्दी हाइकु कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और निरन्तर प्रकाशित हो है। प्रो० सत्यभूषण वर्मा के जन्म दिन ४ दिसम्बर कैं हाइकु दिवस के रूप मे मनाने का प्रारम्भ हाइकु कविता की पत्रिका `हाइकु दर्पण' ने २००६ से गाजियाबाद से किया। हाइकु दर्पण के संपादक डॉ० जगदीश व्योम, कमलेश भट्ट कमल एवं डॉ० अंजली देवधर द्वारा हिन्दी हाइकु कविता की गुणवत्ता में सुधार हेतु निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। इसी श्रृंखला में यह आयोजन किया गया। हाइकु दिवस समारोह के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० प्रभाकर श्रोत्रिय ने दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि श्री विजय किशोर मानव (संपादक कादम्बिनी) ने कहा कि हाइकु कविता मन की अतल गहराईयों कैं प्रभावित कर सके ऐसा प्रयास करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि आकाशवाणी के केन्द्र निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेई ने कहा कि हाइकु मन की अनुभूति की कम शब्दों में व्यक्त करने का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है। उन्होंने अपनी आकाशवाणी की गोष्ठियों में हाइकु पाठ के लिए भी हाइकुकारों कैं आमंत्रित किए जाने की योजना विषयक जानकारी दी तथा डोगंरी भाषा मे लिखी जा रही हाइकु कविताओं की चर्चा की। विशिष्ट अतिथि डॉ० अंजली देवधर ने अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में लिखे जाने वाली हाइकु कविताओं की चर्चा करते हुए दुनिया के तमाम देशों में आयोजित हाइकु संगोष्ठियों में भारतीय हाइकु व हिन्दी हाइकु की उपस्थिति व मान्यता विषयक जानकारी देते हुए बताया कि बंगलोर में आयोजित अंग्रेजी भाषा के विश्व हाइकु सम्मेलन में पहली बार हाइकु दर्पण के संपादक को हिन्दी में हाइकु की स्थिति पर शोधपत्र प्रस्तुत करने हेतु आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभाकर श्रोत्रिय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शब्द जैसे-जैसे कम होते जाते है कविता सघन होकर और प्रभावशाली होती जाती है। हाइकु में कम शब्द होते है वहाँ किसी निरर्थक शब्द या अक्षर की गुंजाइश नहीं है इसीलिए एक अच्छा हाइकु बहुत प्रभावशाली होता है। हाइकु दर्पण पत्रिका के संपादक एवं हाइकु दिवस समारोह के संयोजक डॉ० जगदीश व्योम ने विश्व स्तर पर हिन्दी हाइकु की स्थिति की जानकारी दी। इण्टरनेट पर हिन्दी हाइकु के विषय में बताते हुए डा० व्योम ने कहा कि हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय वेबसाइट- अनुभूति एवं अभिव्यक्ति की संपादक पूर्णिमा वर्मन (यू.ए.ई.) ने हाइकु माह जैसे आयोजन किया तथा हाइकु की कार्यशाला आयोजित की और प्रतिदिन एक चुनिन्दा हाइकु चित्र सहित वेबसाइट पर प्रकाशित किया जिन्हें हजारों वेब पाठकों ने प्रतिदिन पढ़ा और सराहा। हिन्दी की अनेक वेबसाइट्स हैं जिन पर हाइकु कविताएँ निरंतर प्रकाशित की जा रही है? कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रसिद्ध हाइकुकार एवं साहित्यकार कमलेशभट्ट कमल ने हाइकु लेखन पर समग्र दृष्टि डालते हुए बताया कि आज के व्यस्ततम समय में मन के अनुभावों को व्यक्त करने के लिए अधिक समय किसी के पास नहीं है ऐसे में हाइकु कविता सर्वाधिक उपयोगी तथा समसामयिक है। प्रो० वर्मा के साथ हमेशा से जुड़े रहे कमलेश भट्ट कमल ने हिन्दी हाइकु यात्रा विषयक विस्तृत जानकारी दी तथा हाइकु १९८९, हाइकु १९९९ जैसे ऐतिहासिक संकलनों के संपादन के बाद प्रस्तावित हाइकु २००९ के संपादन विषयक जानकारी देते हुए हाइकुकारों से हाइकु भेजने हेतु कहा। ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग ने हाइकु कविता को ५-७-५ अक्षरक्रम में मात्र १७ अक्षर तक सीमित रखने विषयक अनुशासन पर प्रश्न उठाया। इस अवसर पर प्रो० सत्यभूण वर्मा की जीवन संगिनी श्रीमती सुरक्षा वर्मा की गरिमामय उपस्थित समारोह का आकर्षण रही।
डा० अंजली देवधर को विभिन्न देशों व भाषाओं में हिन्दी हाइकु का प्रचार-प्रसार करने तथा श्रीमती सुरक्षा वर्मा को प्रो० सत्यभूषण वर्मा द्वारा छोडी गई हाइकु यात्रा को निरन्तर आगे बढाने की दिशा में सतत सहयोग देने के लिए समारोह के अध्यक्ष प्रभाकर श्रोत्रिय तथा मुख्यअतिथि कादम्बिनी के संपादक विजय किशोर मानव द्वारा शाल उढाकर सम्मानित किया गया।
समारोह में हाइकुकारों ने हाइकु कविताओं का पाठ कर जनसमूह को प्रभावित किया। हाइकु पाठ करने वालों में सर्वश्री- डॉ० कुअँर बेचैन, डॉ० सरिता शर्मा, पवन जैन(लखनऊ), अरविन्द कुमार, लक्ष्मीशंकर वाजपेई, ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग, कमलेश भट्ट कमल, डॉ० जगदीश व्योम, सुजाता शिवेन(उड़िया कवयित्री), ममता किरण वाजपेई, प्रदीप गर्ग आदि प्रमुख थे।हाइकु दिवस समारोह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार से.रा.यात्री, सुप्रसिद्ध गजलकार ज्ञान प्रकाश विवेक, इंडिया न्यूज पत्रिका के सहायक संपादक अशोक मिश्र, बी. एल. गौड़, साहित्यकार डॉ० अरुण प्रकाश ढौंढ़ियाल, हरेराम समीप, अमरनाथ अमर, डॉ० तारा गुप्ता, श्रीमती ज्योति श्रोत्रिय, ब्रजमोहन मुदगल, एस.एस.मावई, श्रीमती मावई, श्रीमती अलका यादव, शिवशंकर सिंह, सुधीर, प्रत्यूष, ममता किरन, मृत्युंजय साधक, नीरजा चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ० जगदीश व्योम ने किया।
2 comments:
बहुत अच्छा लिखा आपने, समारोह के बारे में पूरी जानकारी आपके द्वारा मिली उसके लिए आभार साथ में फोटो भी बहुत अच्छे हैं... हाइकु का प्रचार दिनप्रति दिन आगे बढ़ रहा है जानकर प्रसन्नता होती है आपका प्रयास वाकई सराहनीय है...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 03 दिसंबर 2016 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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