25 June 2007

रामेश्वर दुबे की कविता









रामेश्वर दुबे
सी–57
परिवहन अपार्टमेंट
सेक्टर 5, वसुन्धरा–201012
गाजियाबाद
फोन– 0120– 2884318


************


युद्ध

युद्ध हमेशा से था, है, रहेगा
युद्ध की विभीषिका थी, है, रहेगी
राजा का युद्ध राजा के लिए प्रजा
हमेशा लड़ती थी, लड़ती है, लड़ती रहेगी
चाहे हो युद्धिष्ठिर, दुर्योधन, कृष्ण, शकुन का राजतंत्र
चाहे हो बुश, ब्लेयर, बाजपेयी का प्रजातंत्र
राजा का लालच
राजा की महत्वाकांक्षा
राजा का घमंड
राजा का फरेब
राजा का झूठ
राजा का षड्यन्त्र
ये सब चीजें–
हमेशा से थीं, हैं, रहेंगी
रोग, भ्रष्टाचार, भुखमरी, गरीबी
पहले से ही बढ़ी थी, बढ़ती है, बढ़ती रहेगी
क्योंकि लड़ाई हमेशा से होती थी,
होती है, होती रहेगी
पर एक लड़ाई और थी
जनता की अपनी
जिसे जनता लड़ती रही है
आगे भी लड़ेगी
सभी शासकों, राजाओं एवं
युद्धों के खिलाफ
जिसमें
जनता जीतेगी
या
पूरी दुनिया मरेगी !

—रामेश्वर दुबे

2 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आप जिस लगन से हिन्दी साहित्य को नेट पर ला रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। हार्दिक बधाई।

Hanfee Sir IPSwale Bhaijaan said...

puri kavita main lagan se parta raha parantu unt main udaseen sa unt dekh kar mun dukhi hua, meri apse vinti hain ki itni sari ghatnao ka jikar karne ke baat aap samadhan dekar bhi unt kar sakte the to kya voh samadhan main apki agli kavita main par sakunga, esi iccha hain. apka A L Hanfee