साहित्यिक यात्राओं का अपना अलग आनन्द है। इन यात्राओं में साहित्य पर चर्चा करने के इतने अवसर रहते हैं कि चर्चा कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। जिन विषयों पर कभी सोचा भी न गया हो वह भी चर्चा के केन्द्र में अचानक आ जाते हैं और फिर कभी-कभी कोई महत्वपूर्ण सूत्र हाथ लग जाता है जिस पर चर्चा शुरू हो जाती है। हिन्दी साहित्य के अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का ताना-बाना इन्हीं यात्रिक चर्चाओं की ही देन है। जिनमें हिन्दी कहानी पर केन्द्रित संगमन एक उदाहरण है।
इस बार की साहित्यिक यात्रा का सूत्र प्रवासी भारतीयों के मध्य से था। हिन्दी साहित्य को प्रवासी भारतीयों का योगदान लम्बे समय से मिलता रहा है। परन्तु कहाँ-कहाँ क्या कार्य हो रहा है, इसकी भरपूर जानकारी सभी हिन्दी प्रेमियों को नहीं मिल पाती है। अब हिन्दी वालों के भी इण्टरनेट का जिन्न हाथ लग गया है जो दुनिया भर में हिन्दी में क्या और कहाँ कार्य हो रहा है, सब कुछ पलक झपकाते लाकर सामने रख देता है। अब इण्टरनेट पर हिन्दी की भी तूती बोलने लगी है और बोलने ही नहीं बल्कि साधिकार बोलने लगी है जिसकी अनुगूँज दुनियाभर के हिन्दी प्रेमी सुन रहे हैं।
(अनुभूति, ई कविता समूह) अब हिन्दी प्रेमी आपस में मिलकर विचारों का आदान-प्रदान भी करने लगे हैं।
भारतवर्ष में उत्तर प्रदेश राज्य का हिन्दी संस्थान, हिन्दी के प्रचार-प्रसार एवं संवर्द्धन में पूरी लगन से अपना कर्तव्य निभा रहा है। प्रतिवर्ष १४ सितम्बर हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी सेवियों को लाखों रुपए के पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाता हे। इस वर्ष के पुरस्कारों की घोषण हुई तो उनमें से एक नाम इण्टरनेट से जुड़ी हुई प्रतिभा का नाम देखकर हिन्दी संस्थान की चयन प्रक्रिया को मन ही मन प्रणाम किया। यू.एस.ए. में लगभग दो दशक से रह रहे श्री अनूप भार्गव ने हिन्दी को इण्टरनेट पर लाने में तथा हिन्दी प्रेमियों व साहित्यकारों को आपस में चर्चा करने और विचार विमर्श करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है। आपस में साहित्यिक चर्चा करने के लिए याहू पर ई कविता समूह बनाया जिस पर प्रतिदिन हिन्दी प्रेमी आपस में हिन्दी साहित्य की चर्चा करते हैं। कहाँ, क्या छप रहा है? कौन सी कविता किस कवि की है? कौन सी पत्रिका कहाँ से प्रकाशित हो रही है? हिन्दी साहित्य में क्या अच्छा है ? आदि की चर्चा यहाँ देखी जा सकती है जो निरन्तर चलती रहती है। कोई भी कवि जो इस समूह का सदस्य है, अपनी कविता यहाँ प्रकाशित कर सकता है जिसे हजारों प्रवासी भारतीय और भारतीय हिन्दी प्रेमी पढ़ सकते हैं। अनूप जी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति के सक्रिय सचिव हैं जो कि अमेरिका में अनेकानेक साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए सुविख्यात है। अनूप जी की एक विशेषता और है वह यह कि वे अत्यन्त सहज, व्यावहारिक, सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर तथा इण्टरनेट के विशेषज्ञ हिन्दी विद्वान हैं। यही कारण है कि इस वष जब अनूप जी को हिन्दी संस्थान का पुरस्कार मिला तो इण्टरनेट में चर्चाओं की झड़ी लग गई।
अनूप जी ने मुझे सूचना दी कि वे पुरस्कार लेने के लिए भारत आ रहे हैं और अपना कायक्रम भी सुनिश्चित करके बताया तो मुझे लगा कि यह अच्छा अवसर है एक संगोष्ठी के लिए। स्थान और तिथि तय किए गए। १६ सितम्बर को गुड़गाँव में कार्यक्रम तय हुआ। डॉ० कुवँर बेचैन, उदयप्रताप सिह व कमलेश भट्ट कमल से बात हुई। इसी बीच उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का एक कार्यक्रम दुष्यन्त कुमार जी की स्मृति में शिकोहाबाद में १६ सितम्बर को सुनिश्चित हो गया। मैं उस समय दिल्ली में था तो कमलेश जी ने इसकी जानकारी मुझे भी दी और आग्रह किया कि गुड़गाँव में १६ सित० के स्थान पर १७ सितम्बर को कार्यक्रम रखा जाए तथा १६ सित० को शिकोहाबाद के दुष्यन्त समारोह में सहाभागिता के लिए मुझे भी आमंत्रित किया। मैं बड़ी दुविधा में था, अनूप जी को एक ई मेल लिखा और वे सहर्ष तैयार हो गए।
(क्रमश:)
5 comments:
यह साहित्येत्तर चर्चा तो पढ़ने में बड़ी आह्लादकारी रही. :)
इस यात्रा और संगोष्ठी की यादें काफ़ी समय तक ताजा रहेंगी । लेख की अगली कड़ियों का इन्तज़ार है ...
आगे की कड़ियों को पढने का इन्तज़ार है ।
व्योम जी साहित्य जगत की अच्छी जानकारी दी है आपने आगे क्या लिखने वाले हैं उत्सुकता है०००
डॉ० भावना
रवि जी, वनूप जी, प्रत्यक्षा जी और डॉ॰ भावना कुँवर जी ! ......आप सभी की प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद .... अगली कड़ी जल्दी ही दे रहा हूँ ।
-डॉ॰ व्योम
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