13 July 2022

धूप का भेंटशुदा चश्मा

हाथ से छूट सड़क पर गिरा
धूप का भेंटशुदा चश्मा
हमारे सम्बंधों की तरह
किरिच सब
बिन जीवन हो गये
सोन दिन आये क्या
लो गये

समय का खलनायक जीता
त्रासदी की फ़िल्में हो गईं
मुट्ठियों को ख़ालीपन थाम
पकेपन में स्याही बो गईं 
न लौटे शकुनों के अनुमान
खोजने हरियाली जो गये
सोन दिन आये क्या
लो गये 

काँच के परदे के इस पार
साँस की घुटन सजीवन हुई
दृष्टि में आलेखों को बाँध
अस्मिता काँपी छुईमुई 
भरे मौसम तक पहुँचे हाथ
अचानक पिघल हवा हो गये
सोन दिन आये क्या
लो गये

-सुभाष वसिष्ठ 

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