धनबल भुजबल हरबल व्यर्थ का है
कोई बल मीत तेरे काम नहीं आना है
पाप से हटा के पुण्य में लगा ले जिन्दगानी
साँस छूटते ही छूट जाना ये खजाना है
हरे राम, हरे कृष्ण रसना से रट नित
ऋषि मुनियों ने जिसे मुक्ति-पथ माना है
कंचन से ज्यादा अनमोल जिसे समझा है
माटी का शरीर, माटी में ही मिल जाना है।
-बदन सिंह मस्ताना
कोई बल मीत तेरे काम नहीं आना है
पाप से हटा के पुण्य में लगा ले जिन्दगानी
साँस छूटते ही छूट जाना ये खजाना है
हरे राम, हरे कृष्ण रसना से रट नित
ऋषि मुनियों ने जिसे मुक्ति-पथ माना है
कंचन से ज्यादा अनमोल जिसे समझा है
माटी का शरीर, माटी में ही मिल जाना है।
-बदन सिंह मस्ताना
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