ज़िंदगी का हर मानी और मान हिंदी हो
भावों का क्षितिज मेरा आसमान हिंदी हो
बात हम करें इसमें, बात हर सफल हो वह
तेरी-मेरी हर अभिलाषा का प्रान हिंदी हो
सीखते सतत रहने की ललक रहे यूँ ही
बस फले सदा फूले औ जवान हिंदी हो
इस चमन के फूलों की रंगतें इसी से हैं
काश! हर ग़ुँचा चाहे उस की शान हिंदी हो
हम लिखें सदा बोलें इस्तिमाल में लाएँ
मात्र भाषणों में ही ना बखान हिंदी हो
मुक्त यह बहे, उन्नति पथ चले, दुआ मेरी
हौसलों की सब बातें औ उड़ान हिंदी हो
आज है दिवस-हिंदी, ख़ूब हो मुबारक वह
आज से करें कुछ यूँ हम, महान हिंदी हो॥
-प्रगति टिपणीस
[मास्को, रूस]
1 comment:
हमारी राजभाषा और राष्ट्रभाषा हिन्दी का सम्मान बढ़ाने वाली बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई।
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