दृग देख जहाँ तक पाते हैं, तम का सागर लहराता है
फिर भी उस पार खड़ा कोई, हम सबको टेर बुलाता है
मैं आज चला, कल आओगे तुम, परसों सब संगी-साथी
दुनिया रोती-धोती रहती, जिसको जाना है जाता है ।
-हरिवंश राय बच्चन
फिर भी उस पार खड़ा कोई, हम सबको टेर बुलाता है
मैं आज चला, कल आओगे तुम, परसों सब संगी-साथी
दुनिया रोती-धोती रहती, जिसको जाना है जाता है ।
-हरिवंश राय बच्चन
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