10 May 2021

मुक्तक

कर्म का दीप जला जाता है। 
दर्द का शैल गला जाता है। 
वक्त को कौन रोक पाया है, 
वक्त आता है, चला जाता है।। 

-डॉ अशोक अज्ञानी 

1 comment:

PRAKRITI DARSHAN said...

सच...समय अवश्य बीत जाता है लेकिन उसके निशान कई दफा बहुत गहरे रह जाते हैं जो सदियों तक सालते हैं। अच्छी पंक्तियां हैं