23 July 2020

Alha

हिआँ कि बातइँ हिअनइँ छोड़उ, अब आगे को सुनउ हबाल।
खोलि पत्तिरा देखन लागे, अउ ज्युतिस को करइँ विचार।
साइति अबहीं अति नीकी हइ, अइपनबारी देउ पठाइ।
हाँत जोरि के रुपना बोलो, दादा सुनउँ हमारी बात।
मेरे भरोसे मइँ ना रहिअउ, मइँ ना मूँड़ कटइहउँ जाइ।
जालिम राजा नइनागढ़ को, जाकी मारु सही ना जाइ।
तड़पे ऊदन तब रुपना पइ, रुपना सुनिलेउ बात हमारा।
नउकर-चाकर तुमइँ न जानों, तुम तउ भइआ लगउ हमारा।
आल्हा ब्याहन कउ ना रहिअइँ, बातइँ कहिबे कउ रहि जाइँ।
रुपना बोलइ तब मलिखे सइ, दादा सुनउ हमारी बात।
घोड़ा करिलिया आल्हा बारो, सो मोइ आप देउ मँगवाइ।
अइपनबारी तउ लइ जइहउ,ँ जो दइ देउ ढाल तलवार।
सब हथियार दए मलिखे नइँ, अउ दइ दई ढाल तलवार।
रुपना करिलिया पइ चढ़ि बइठो, नइनागढ़ मइँ पहुँचो जाइ।
तब दरमानी बोलन लागो, ओ परदेसी बात बताउ।
कहाँ सइ आए हउ, कहाँ जइहउ, अपनो कहउ देस को नाउँ।
देसु हमारो नगर महाबो, जहँ पइ बसइ रजा परमाल।
आल्हा ब्याहन कउ आए हइँ, रुपना बारी नामु हमार।
अइपन बारी हम लाए हइँ, राजइ खबरि सुनाबउ जाइ।
साइति बीतति हइ दुआरे की, हमरो नेगु देउ मँगबाइ।
कहा नेगु द्वारे को चहिए, राजइ खबरि सुनाबइँ जाइ।
रुपना बोलो दरमानी सइ, अइसी कहउ जाइ महराज।
चारि घरी भरि चलइ सिरोही, द्वारे बहइ रकत की धार।
इतनी सुनिके दरमानी नइँ, राजइ खबरि सुनाई जाइ।
अइपनबारी बारी लाओ, अउ द्वारे पइ पहुँचो आइ।
आल्हा ब्याहन कउ आए हइँ, झण्डा धुरे दओ गड़वाइ।
झिगरइ नेगी दरबाजे पइ, द्वारे कठिन चलइ तलवारि।
अइसो नेगी मइँ ना देखो, मोपइ कूछ कही ना जाइ।

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