tag:blogger.com,1999:blog-11924325.post477399818391157481..comments2023-12-21T16:05:10.997+05:30Comments on हिन्दी साहित्य: डा० नामवर सिंह ने कविता में लय का होना अनिवार्य मानाUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-42812826059540836482012-06-03T23:52:44.914+05:302012-06-03T23:52:44.914+05:30नामवर जी ने कार्यक्रम में यह कहकर कि लय ही कविता क...नामवर जी ने कार्यक्रम में यह कहकर कि लय ही कविता की आयु निर्धारित करती है, न केवल कवियों को एक अनुभवजन्य दृष्टिकोण दिया, बल्कि अपने पूर्ववर्ती विचारों का परिष्कार भी किया। उन्होंने साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि लय का मतलब तुक नहीं होता और सार्थक कविता को तुक के चक्कर में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कविता में अनुप्रास हो सकता है किन्तु वह स्वाभाविक रूप से आना चाहिए, जबरन ठूँसा हुआ नहीं। कार्यक्रम की इतनी सार्थक रिपोर्ट के लिए व्योम जी को साधुवाद।Umeshhttps://www.blogger.com/profile/10308807738552566858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-17477029173227383532012-06-03T23:45:19.309+05:302012-06-03T23:45:19.309+05:30नामवर जी का यह कहना ठीक ही है कि लय ही कविता की आय...नामवर जी का यह कहना ठीक ही है कि लय ही कविता की आयु तय करती है। यह कहकर न केवल उन्होंने कवियों को एक अनुभव-जन्य दृष्टिकोण दिया है, बल्कि स्वयं अपने पूर्ववर्ती विचारों का परिष्कार किया है। आपकी रिपोर्ट के लिए धन्यवाद।Umeshhttps://www.blogger.com/profile/10308807738552566858noreply@blogger.com