tag:blogger.com,1999:blog-11924325.post116090007938917847..comments2023-12-21T16:05:10.997+05:30Comments on हिन्दी साहित्य: हिन्दी चर्चा वाया यू.एस.ए. (भाग - 2)Unknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-59983190262665494642015-02-02T18:43:43.623+05:302015-02-02T18:43:43.623+05:30अभिभूत हूँ इस साहित्यिक-यात्रा को शब्दों के माध्यम...अभिभूत हूँ इस साहित्यिक-यात्रा को शब्दों के माध्यम से महसूस कर .वास्तव में एक यादगार समय बीता..सोम दादा का आशीष मिला..मुझे इस साहित्यिक अनुष्ठान का हिस्सा होने का अवसर माँ शारदे की अनुकम्पा से मिला ...आदरणीय अग्रज व्योम जी ने वरिष्ठ के बीच कनिष्ठ हस्ताक्षर को भी स्थान दिया ..आपका हार्दिक आभार ...!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16376613957632735653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-59329144153443593082013-05-17T01:23:25.054+05:302013-05-17T01:23:25.054+05:30कृपया अंग्रेज़ी से हिन्दी शब्दों की जानकारी के लिए...कृपया अंग्रेज़ी से हिन्दी शब्दों की जानकारी के लिए इस विकासशील वेबसाइट का भी मूल्यांकन करें - EngHindi.com (इंगहिन्दी.कॉम) । धन्यवाद।Vidyadharanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-1167299767344541842006-12-28T15:26:00.000+05:302006-12-28T15:26:00.000+05:30व्योम जी आपकी यात्रा और काव्यचर्चा बहुत अच्छी लगी।...व्योम जी आपकी यात्रा और काव्यचर्चा बहुत अच्छी लगी। देर से पढ़ पायी पर दिलो- दिमाग पर छायी रहेगी।<BR/>डॉ० भावना कुँअरDr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-1161175460195859542006-10-18T18:14:00.000+05:302006-10-18T18:14:00.000+05:30रवि जी, प्रत्यक्षा जी, मानोशी जी और अनूप जी ! धन्य...रवि जी, प्रत्यक्षा जी, मानोशी जी और अनूप जी ! धन्यवाद पढ़ने लिए और प्रतिक्रिया के लिए....... काम्बोज जी के यहाँ चाय और समोसों के बाद अगला पड़ाव गुड़गाँव का ही है।<BR/>डॉ॰ व्योम डॅा. व्योमhttps://www.blogger.com/profile/10667912738409199754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-1161167284770048522006-10-18T15:58:00.000+05:302006-10-18T15:58:00.000+05:30जान कर प्रसन्नता हुई कि आज भी दुश्यन्त जी पर केन्द...जान कर प्रसन्नता हुई कि आज भी दुश्यन्त जी पर केन्द्रित इस तरह के कार्यक्रम होते हैं । मेरी वास्तव में उस कार्यक्रम में आनें की काफ़ी इच्छा थी लेकिन समयाभाव के कारण सम्भव नहीं हो पाया। <BR/>सोम ठाकुर जी के किस्से सुननें का मुझे भी सौभाग्य मिला है , बहुत रोचक होते हैं । <BR/>कवि सम्मेलनों के बारे में आपनें ठीक कहा । इन्हें चुटकलेबाजी और फ़ूह्ड़ हास्य से बचाना एक चुनौती है । उस में लगे धन और ऊर्जा का अच्छा प्रयोग किय जा सकता है ।<BR/>अगली कड़ी का इन्तज़ार रहेगा । अब तो आप गुड़गाँव पहुँचनें ही वाले हैं :-)अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-1161151373350116202006-10-18T11:32:00.000+05:302006-10-18T11:32:00.000+05:30रोचक विवरण ! इंतज़ार है आगे कारोचक विवरण ! इंतज़ार है आगे काPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-1161086019680688452006-10-17T17:23:00.000+05:302006-10-17T17:23:00.000+05:30आगे का इंतज़ार है।आगे का इंतज़ार है।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-11924325.post-1160921180697073142006-10-15T19:36:00.000+05:302006-10-15T19:36:00.000+05:30आपकी साहित्य यात्रा तो वाकई मधुर और उत्साही रही.आपकी साहित्य यात्रा तो वाकई मधुर और उत्साही रही.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com