24 October 2015

परम्परा

परम्परा को
अंधी लाठी से मत पीटो
जो जीवित है
जैसी भी हो
ध्वंस से
बचा रखने लायक है।
पानी का छिछला होकर
समतल में दौड़ना
यह क्रांति का नाम है
लेकिन घाट बाँध कर
पानी को गहरा बनाना
यह परम्परा का काम है।
परम्परा और क्रान्ति में
संघर्ष चलने दो
आग लगी है तो
सूखी टहनियों को जलने दो।
परम्परा जब लुप्त होती है
लोगों को नींद नहीं आती
न नशा किए बिना
चैन या कल पड़ती है
परम्परा जब लुप्त होती है
सभ्यता अकेलेपन के
दर्द से मरती है।

-रामधारी सिंह दिनकर

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